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सोयाबीन बीज

Soyabean Tips: लेट मानसून में भी पैदा करना है बंपर सोयाबीन, तो करें मात्र ये काम

Soyabean Tips: लेट मानसून में भी पैदा करना है बंपर सोयाबीन, तो करें मात्र ये काम

देश में इस साल मानसून की असामान्य गतिविधि देखी जा रही है। कहीं पानी तो कहीं गर्मी सूखे के कारण, कृषक तय नहीं कर पा रहे हैं कि वो फसल कब और कौन सी बोएं। आम तौैर पर मानसून आधारित औसतन कम पानी की जरूरत वाली खरीफ की फसलों में शामिल, सोयाबीन की किस्मों पर किसान यकीन करते हैं।

असामान्य स्थिति

बारिश जनित असमान्य स्थितियों के कारण इस साल सोयाबीन खेती आधारित पैदावार क्षेत्रों में मानसूनी वर्षा के आगमन एवं फैलाव में स्थितियां पिछले सालों की तुलना में अलग हैं। कुछ जगहों के कृषक मित्र सोयाबीन की खेती शुरू कर चुके हैं, जबकि कुछ इलाकों के किसान सोयाबीन की बुआई के लिए अभी भी पर्याप्त वर्षा जल का इंतजार कर रहे हैं। मतलब इन इलाकों की सोयाबीन बुआई फिलहाल अभी रुकी हुई है।

ये भी पढ़ें: सोयाबीन, कपास, अरहर और मूंग की बुवाई में भारी गिरावट के आसार, प्रभावित होगा उत्पादन मानसून में हो रही देरी के कारण कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन के बीजों के चयन, उनको बोने एवं आवश्यक ध्यान रखने के बारे में कुछ सलाह जारी की हैं।

बुआई के लिए

मानसून की देरी से परेशान ऐसे किसान जिन्होंने अभी तक सोयाबीन की बुवाई नहीं की है, या फिर अभी 3 से 4 दिन पहले ही सोयाबीन बोया है तो उनके लिए यह सलाह काफी अहम है। आम तौर पर वैज्ञानिकों के अनुसार जुलाई महीने के पहले सप्ताह तक का समय सोयाबीन बोवनी के लिए उपयुक्त होता है। इसमें देरी होने पर कृषक ख्याल रखें कि बोवनी क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा (100 मि.मी.) होने पर ही सोयाबीन कि बुवाई का वे जोखिम उठाएं।

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सोयाबीन की किस्म

इस बारे में कृषकों को सलाह दी गई है कि, वे एक ही किस्म की सोयाबीन बोवनी की बजाए खेत में विभिन्न समयावधि में पकने वाली किस्मों की बोवनी करें। इसमें 2 से 3 अनुशंसित किस्मों की सोयाबीन खेती को प्राथमिकता दी जा सकती है।

बीज दर का गणित

बीज ऐसा चुनें जिसकी गुणवत्ता न्यूनतम 70% अंकुरण की हो। इस आधार पर ही बोए जाने वाले बीज दर का भी प्रयोग करें। अंकुरण परीक्षण से सोयाबीन बोवनी हेतु उपलब्ध बीज का अंकुरण न्यूनतम 70 फीसदी सुनिश्चित करने से भी कृषक अपने बीज का परीक्षण कर सकते हैं।

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पद्धति का चुनाव

सोयाबीन के लिए विपरीत माने जाने वाली सूखे कि स्थिति, अतिवृष्टि आदि से संभाव्य नुकसान कम करने सोयाबीन की बोवनी बी.बी.एफ. पद्धति या रिज एवं फरो विधि (Ridge and furrow) से करने की सलाह कृषि वैज्ञानिकों ने दी है।

सोयाबीन बीज उपचार

बोवनी के समय बीज को अनुशंसित तरीके से उपचारित कर थोड़ी देर छाया में सुखाएं | फिर इसके बाद अनुशंसित कीटनाशक से भी उपचारित करें | कृषक रासायनिक फफूंद नाशक के स्थान पर बीजों में जैविक फफूंद नाशक ट्रायकोडर्मा का भी उपयोग कर सकते है। इसे जैविक कल्चर के साथ मिलकर प्रयोग किया जा सकता है।

खाद का संतुलन

किसान सोयाबीन की फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश व सल्फर की पूर्ति केवल बोवनी के वक्त करें।

बोवनी वक्त दूरी

सोयाबीन की बोनी के लिए 45 से.मी. कतारों की दूरी अनुपालन की अनुशंसा की जाती है। बीज को 2 से 3 से.मी. की गहराई पर बोते हुए पौधे से पौधे की दूरी 5 से 10 सेमी रखने की सलाह कृषि वैज्ञानिक देते हैं। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि, सोयाबीन बीज दर 65 से 70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करने से बेहतर पैदावार होगी।
इस राज्य की सरकार किसानों के साथ कर रही है छलावा या मजाक? पढ़िए पूरी खबर

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भोपाल। सत्ता हांसिल करने के लिए नेता तरह-तरह की सियासी गोटियां बिछाते हैं। चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा बातें भी किसानों की होती हैं। लेकिन सत्ता में आने के बाद नेताओं के बोल कैसे बदल जाते हैं। फिर वही नेता किसान हितों को भूलकर अपने हितों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। ताजा मामला मध्यप्रदेश राज्य से जुड़ा हुआ है। यहां की सरकार ने किसानों के लिए सोयाबीन बीज की कीमतों में 2600 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करके 2000 की सब्सिडी देने का फैसला किया है। यानि कि पहले 2600 रूपए जमा कराए जाएंगे, फिर 2000 रु. वापिस मिलेंगे। यह वापिस कब मिलेंगे यह भी निर्धारित नहीं किया गया है। ऐसे में किसानों को लग रहा है कि सरकार उनके साथ छलावा कर रही है अथवा मजाक। सरकार के इस फैसले से किसानों में रोष है। किसानों के साथ ही यह सीधे तौर पर छलावा ही है। आम तौर पर जब सोयाबीन बेची जाती है तो पांच हजार से छह हजार के बीच भाव रहता है। छह हजार का भाव भी इस बार सालों बाद आया है। अब उसी सोयाबीन को फिल्टर कर 10 हजार 100 रुपए क्विंटल में यहां बेचा जा रहा है। ऐसी स्थिति में कैसे खेती लाभ का धंधा बन पाएगी? किसानों का कहना है कि हमसे खरीदते समय किसी को भाव बढ़ाने की याद नहीं आती, अब जब बोवनी की जाना है तो स्वत: ही भाव बढ़ा दिए गए।

बीज प्राप्ति की रसीद व पावती नहीं मिलेगी

- सरकार द्वारा सोयाबीन बीज की कीमतों में वृद्धि और सब्सिडी देने वाले प्रावधान में एक निर्णय और लिया गया है। इसके तहत बीज प्राप्त करने वाले किसान को न कोई रसीद दी जाएगी और न ही पावती प्रति मिलेगी। जिससे किसान समय पर अपना तर्क रख सकें।

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सोयाबीन की ये वैरायटी उपलब्ध हैं

- सोयाबीन बीज की दो वैरायटी कृषि विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। 1- 2034- Soya 2- 9560- Soya

इस प्रकार तय हुए हैं सोयाबीन बीज के रेट

- प्लांट पर सोयाबीन के 7500 प्रति क्विंटल - किसानों के लिए 10100 रुपए प्रति क्विंटल - 2000 रुपए सब्सिडी सोयाबीन प्रति बीघा खेत में 20 से 25 किलो बीघा के हिसाब से डाली जाती है। ------ लोकेन्द्र नरवार